राधिका शर्मा/आरुषि
सोशल
मीडिया पर लोगों की नजरों में आना और फैन फॉलोइंग को प्राप्त करने के लिए युवा कुछ
भी करने को तैयार हैं। सोशल मीडिया पर खुद को पोपुलर करने का जूनून युवाओं के सिर
चढ कर बोल रहा है. इंस्टाग्राम फेसबुक यूट्यूब के लिए रील बनाने के लिए नए नए
तरीके, लोकेशन और रिस्क लेना आम बात हो रही है। एक दूसरे से आगे निकलने की इस होड
से काफी नुक्सान भी हो रहा है., कई जगह तो लोगो की जान तक जाने की खबरें हैं। कुछ
लोग इससे डिप्रेशन के शिकार हो रहे है तो कुछ काम काज छोडकर इसकी लत में पड चुके
हैं। ऐसा नहीं कि इससे शिकार लोगो में केवल युवा ही है, बल्कि हर उम्र के लोग इसके
आदि होते जा रह हैं। ऐसे में, सोशल मीडिया से दूरी बनाने की जरूरत है।
सोशलिस्टस
का कहना है कि युवाओं के लिए लोगों की नजरों में आना और फैन फॉलोइंग के बारे में
बात करना युवाओं को आकर्षित करने का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है हालांकि सोशल
मीडिया ने बहुत लोगों की सहायता भी की हैं किसी कारण से आजकल के युवा इस और
आकर्षित हो रहे हैं
इन्हीं
आदतों से युवाओं में डिप्रेशन के मामले दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं साइकोलॉजिस्ट कहते
हैं कि जब युवाओं की रील वायरल नहीं होती तो वह फ्रस्ट्रेटेड हो जाते हैं जो कि
आगे जिनके डिप्रेशन में बदल जाता है आजकल लोग रियल देखकर प्रभावित होकर वैसे ही
जिंदगी जीना चाहते हैं और अगर वह मुमकिन न हो तो वो निराश हो जाते हैं दूसरे
साइकोलॉजिस्ट सुशांत ठाकुर बताना चाहते हैं कि इन्हीं कारणों से लोगों का ऑफलाइन
सपोर्ट सिस्टम समाप्त हो जाता है इससे सोशल ब्रेन हाइनोप्सोस बोला जाता है चाचा
इसे सोशल समस्याएं खड़ी हो जाती है
अगर
आप डिप्रेशन में पहुंच जाते हैं क्योंकि आपके नाम और पैसा नहीं मिला जो आप चाहते
थे तो आप उसे बाहर निकलने में देरी न करें इसके साथ हे साइकोलॉजिस्ट ऐश्वर्या राज
का कहना है कि आपको सोशल मीडिया से दूरी बनानी चाहिए जो कि आज के समय में बहुत
मुश्किल कार्य है लेकिन यदि हम प्रयास करें तो सब संभव है इसके लिए सबसे पहले खुद
को तैयार करना होगा हफ्ते में दो दिन गैजेट वह मोबाइल से दूरी बनानी होगी इससे आप
मोबाइल फ्री दे भी कह सकते हैं आप बाहर भी जा सकते हैं वह किताबों का सहारा भी ले
सकते हैं परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत कर सकते हैं परंतु मोबाइल खुद
से दूर रखें।
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